“भारतीय राजनीति के वर्तमान स्वरूप में बदलाव की आवश्यकता है”।
जुनून और समर्पण आपको अपने लक्ष्य तक ले जा सकते हैं, लेकिन फिर आपको वास्तव में अपने जुनून को जानने, समझने और उसका विश्लेषण करने की आवश्यकता है। मैं स्पष्ट रूप से समझता हूं कि मेरी संतुष्टि देश के आम लोगों की सेवा में निहित है।
भारत को लोकतांत्रिक स्वतंत्र देश बने 75 वर्ष हो गए हैं, लेकिन फिर भी हमें “विकासशील राष्ट्र” के रूप में अधिसूचित किया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि हम अभी भी विकसित देश नहीं हैं।
हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी आज भी जीवन की मूल-भूत आवश्कताओं से बंचित है,और वे आजादी के वर्षों से आज तक इसके लिए वंचित और भूखे रह रहे हैं, भले ही हमारा संविधान कहता है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को “भोजन का अधिकार”, “शिक्षा का अधिकार” है। , “जीवन का अधिकार,” “स्वास्थ्य का अधिकार” , आदि है।
हमारे सभी राजनीतिक दलों, व्यक्तित्वों और उनके द्वारा हमारे देश को प्रदान की गई सेवाओं के संबंध में, अब समय आ गया है कि हम आगे आएं और “वह परिवर्तन का हिस्सा बनें,जो आप देखना चाहते हैं”राजनसिंह सूर्यवंशी
हम अपने देश को एक समृद्ध समाज व संस्कृति और विरासत को वापस देने का प्रयास करते हैं। हमारे पास सब कुछ है, हमें बस इसे तलाशने और सतह पर लाने की जरूरत है। मैं आशावादी दृष्टिकोण में दृढ़ता से विश्वास करता हूं और हमारी भारतीय राजनीति को भी कई अंतरालों को पाटने के लिए व्यवस्थित, रणनीतिक और सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसको लेकर भारतीय अपना समाज काफी मुखर व स्पष्ट हैं।
मैंने बहुत स्पष्ट सोच और उद्देश्यों के साथ राजनीति में प्रवेश किया है, और मैं यह प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं तब तक नहीं रुकूंगा जब तक कि हमारे देश के प्रत्येक व्यक्ति को उनके मूल “अधिकार” नहीं मिल जाते। जैसा कि स्वामी विवेकानंद कहते हैं , “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
मैं एक मिशन के साथ हूं “चलो सभी के लिए जीवन को सरल बनाएं”।
मुझे यकीन है और पूर्ण विश्वास है कि “एक साथ हम कर सकते हैं”।
सादर-प्रेषित
डॉ राजनसिंह सूर्यवंशी (ऑनरेरी प्रोफेसर)
राष्ट्रीय अध्यक्ष-भारतीय अपना समाज पार्टी